EPFO UPDATE 2024 : प्राइवेट क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों को सामाजिक व आर्थिक सहायता और सुरक्षा देने के लिए भविष्य निधि खाता में न्यूनतम मूल वेतन 18000 से 21 हजार रुपए करने के प्रस्ताव की खबर आ रही है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारत सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के अंतर्गत कर्मचारियों को लाभ दिया जा रहा है। दरअसल प्राइवेट सेक्टर में नियोक्ता द्वारा यह लाभ दिया जाता है। वहीं खुशखबरी की बात यह निकलकर सामने आ रही है कि न्यूनतम वेतन सीमा₹15000 से बढ़ा कर सरकार इसे 21 हजार रुपए करने जा रही है।
10 साल बाद बढ़ाया जा रहा न्यूनतम वेतन सीमा
- हालांकि अभी खबर की पुष्टि नहीं हो पाई है लेकिन आपको बता दे कि पिछली बार न्यूनतम वेतन 15000 रुपए 2014 में किया गया था। इस नजरिए से देखा जाए तो आज 2024 हो गया। वहीं अगर इस नजरिया से देखा जाए तो कल 10 साल हो जाने के बाद अभी तक न्यूनतम मूल वेतन पुराने ₹15000 पर ही आधारित है।
- दरअसल प्राइवेट कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा भारत सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की स्थापना की गई है। लेकिन बढ़ती हुई महंगाई की वजह से अभी भी 10 साल पुराना ₹15000 न्यूनतम वेतन पर लाभ प्राइवेट कर्मचारियों को मिल रहा है जबकि पिछले 5 साल पहले ही मूल वेतन सीमा को बढ़ा देना चाहिए था। वहीं इन 10 सालों में महंगाई बढ़ गई है। वही आपको बता दे कि 10 साल बीत जाने के बाद खबरें आ रही है कि सरकार न्यूनतम वेतन सीमा ₹15000 से बढ़ा कर 21000 रुपए करने जा रही है। सवाल यह उठता रहा है कि है करोड़ों कर्मचारियों के हित में यह कदम उठाने में 10 साल का समय क्यों लग गया है जबकि अभी केवल खबरें ही आ रही है।
- क्या ऐसा नहीं है कि सामाजिक सुरक्षा कर्मचारियों की देने वाली यह EPFO योजना पूंजीपतियों के आगे झुकती हुई नजर आ रही है!
- न्यूनतम कर्मचारियों की संख्या किसी संगठन में जिन्हें EPFO का फायदा मिलेगा उसकी संख्या 20 से घटाकर 10 करने पर विचार कर रही है। लेकिन फिर खबर आ रही है कि यह संख्या 15 करने जा रही है।
ईपीएफओ वेतन सीमा बढ़ाने से फायदा
प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले श्रमिक और कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के हित में सामाजिक सुरक्षा देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। लेकिन इस योजना का फायदा कर्मचारियों को सही तरीके से फायदा तभी उठा सकते हैं जब न्यूनतम वेतन बढ़ती हुई महंगाई के अनुसार समय-समय पर बढ़ाया जाता है।
2014 के बाद न्यूनतम वेतन सीमा पर एक नजर
EPFO UPDATE: 2014 में पहली बार 15000 न्यूनतम वेतन ईपीएफओ के लिए किया गया था। यानी की ₹15000 तक वेतन की सीमा पर लाभ मिलता है। यदि आपसे पूछा जाए कि इस समय कौन सा वर्ष चल रहा है तो आप बताएंगे कि यह आर्टिकल लिखते समय 2024 का नवंबर महीना चल रहा है।
10 साल बाद न्यूनतम मूल वेतन सीमा पर वृद्धि मामूली
- आज भी वही 2014 यानी की 10 साल पुराने न्यूनतम वेतन पर ईपीएफओ सुविधा दी जा रही है। जबकि 10 साल में महंगाई अधिक बढ़ जाने के कारण हर 5 साल में इसकी समीक्षा कायदे से हो जानी चाहिए लेकिन सरकार की हीलाहवाली के चलते यह काम हमेशा ठंडे बस्ते में चली गई है।
- परंतु अब मीडिया खबरों के मुताबिक के यह सामने आ रही है कि 15000 से न्यूनतम वेतन का लाभ बढ़ाकर 21000 रुपए कर दिया जाएगा।
- आप ही सोचिए कि पिछले 10 साल पहले न्यूनतम वेतन सीमा 15000 किया गया था। अगर आज इस हिसाब से देखा जाए तो न्यूनतम वेतन 21000 रुपए किया जाने की खबरें आ रही हैं जबकि यह बहुत ही कम है।
- अगर हर साल₹1000 बढ़ाने की गणित लगाई जाए तो 15000 रुपए से 10 साल में ₹25000 कम से कम ईपीएफओ पर न्यूनतम वेतन लाभ मिलना चाहिए।
- वही किसी संगठन या कंपनी में ईपीएफओ का बेनिफिट्स तभी कर्मचारियों को मिलता है, जब कर्मचारियों की संख्या कम से कम 20 या उससे अधिक हो। इसे भी हटाकर सरकार 15 से 20 से कर्मचारियों की न्यूनतम संख्या करने वाली है। इससे ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों को फायदा मिलने वाला है।
- जबकि देखा जाए तो यह संख्या भी बहुत ज्यादा है। जब आप प्राइवेट सेक्टर में किसी कंपनी के द्वारा सामाजिक सुरक्षा दिलवाना ही चाहते हैं तो इसकी कम से कम संख्या कर्मचारियों की 10 होनी चाहिए ताकि छोटी-छोटी कंपनियां जिसमें 10 कर्मचारी भी काम करती है उन कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिल सके।
- दरअसल आज छोटी-छोटी कंपनियां करोड़ों रुपए का टर्नओवर सालाना 5 या 6 व्यक्तियों के कामकाज से आसानी से कर लेती है क्योंकि कई आईटी सेक्टर में काम करने वालों की संख्या कम हो गई है। फिर भी यह सेक्टर अच्छी खासी इनकमकर रही है।
- इसी तरह समाचार पत्र प्रशासन में टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जा रहा है। यहां भी कर्मचारियों की संख्या कम हुई है। लेकिन आमदनी बड़ी है। ऐसे में इन जगहों पर भी जहां कर्मचारियों की संख्या 10 है वहां भी फायदा मिलना चाहिए।
- दरअसल पिछले 10 साल की तुलना में तकनीकी इतनी तेजी से बढ़ गई है। इसलिए छोटे-छोटे कंपनियों के स्टार्टअप कम से कम कर्मचारियों द्वारा बेहतर तरीके से चलाया जा रहा है और लाभ कमा रहे हैं ऐसे में 10 कर्मचारी वाले संगठनों पर भी ईपीएफओ का लाभ कर्मचारियों को मिलना चाहिए।
- वाहिकाई विद्वानों का कहना है कि न्यूनतम कर्मचारी संख्या ईपीएफओ लाभ दिलाने के लिए पांच कर देना उचित होगा। लेकिन सरकार इस पर भी विचार करने से बैक फुट पर आ रही है। मीडिया खबरों से यही पता चलता है।
ईपीएफओ का लाभ उठाने के लिए कब-कब हुआ न्यूनतम वेतन में संशोधन
- तो आपको बता दे की 2014 में ईपीएफओ वेतन सीमा 6500 थी। उसके बाद इस सीमा को बढ़ाकर ₹15000 कर दिया गया। ध्यान देने वाली बात है कि 2014 में ईपीएफओ वेतन की सीमा बढ़ाई गई थी आज 2024 हो गया है लेकिन इन 10 साल में सरकार के कान में जू तक नही रेंगी, दरअसल पूंजीपति को फायदा पहुंचाने वाली सरकार इन 10 सालों में EPFO का न्यूनतम वेतन सीमा वृद्धि 15000 रुपये से अधिक करने में जान बूझकर कर पीछे रही है। 10 साल बीत जाने के बाद सरकार को शुद्ध आई है और मीडिया के माध्यम से यह खबरें फैल रही है कि EPFO के न्यूनतम वेतन सीमा वृद्धि होने वाली है।
- लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिरकार इतनी लेटलतीफी क्यों? दरअसल प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारी EPFO सुविधा को लेकर इतने जागरूक नहीं है। वही गोदी मीडिया सरकार के पक्ष में ही खबरें बताती है, इस तरह की मामले वह उठती नहीं है।
- यहां हम आपको स्पष्ट रूप से बता दे कि EPFO के न्यूनतम वेतन सीमा की बढ़ोतरी की कोई प्रस्ताव अभी तक जारी सरकार द्वारा नहीं किया गया है। यह लेख लिखे जाने तक अभी तक किसी भी तरह की न्यूनतम वेतन सीमा की वृद्धि की आधिकारिक खबर जारी नहीं हुई है।